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Wednesday, 7 May 2025
भारत की हालिया एयर स्ट्राइक और पाकिस्तान की संभावित प्रतिक्रिया: एक रणनीतिक विश्लेषण
हाल ही में भारत सरकार ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में आतंकवादी ठिकानों को लक्षित करते हुए एक सीमित किंतु अत्यंत योजनाबद्ध हवाई कार्रवाई को अंजाम दिया है। भारत की आधिकारिक सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, इस ऑपरेशन का प्राथमिक उद्देश्य उन नौ आतंकवादियों को निष्क्रिय करना था जो भारत में बहुस्तरीय आतंकी हमले की योजना बना रहे थे। यह कार्रवाई न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति एक रणनीतिक उत्तरदायित्व को रेखांकित करती है, बल्कि भारत की आतंकवाद के प्रति शून्य सहनशीलता की नीति की पुनः पुष्टि भी करती है।
इस घटनाक्रम के पश्चात् दक्षिण एशियाई क्षेत्र में रणनीतिक संतुलन में स्पष्ट अस्थिरता देखने को मिली है। ऐसे में यह प्रश्न अत्यंत प्रासंगिक हो गया है कि पाकिस्तान इस पर किस प्रकार की प्रतिक्रिया देगा और वह किस रणनीतिक स्वरूप में सामने आ सकती है।
पाकिस्तान की संभावित रणनीतियाँ: बहुआयामी दृष्टिकोण
पाकिस्तान की संभावित प्रतिक्रिया को एक जटिल बहुस्तरीय रणनीति के रूप में देखा जा सकता है, जिसमें राजनयिक, सैन्य, साइबर और प्रचार-आधारित प्रयास सम्मिलित हो सकते हैं। विगत में 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 की बालाकोट एयर स्ट्राइक के पश्चात भी पाकिस्तान ने तुलनात्मक रूप से नियंत्रित और रणनीतिक प्रतिक्रियाएं दी थीं।
1. राजनयिक प्रतिउत्तर
पाकिस्तान संभवतः इस कार्रवाई को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी संप्रभुता के उल्लंघन के रूप में प्रस्तुत करेगा। संयुक्त राष्ट्र, OIC, और क्षेत्रीय सहयोग मंचों में भारत को आक्रामक और युद्धोन्मुख राष्ट्र के रूप में दर्शाने की कूटनीति अपनाई जा सकती है।
2. सीमावर्ती सैन्य सक्रियता
सीमा पर गोलीबारी, ड्रोन गतिविधियों में वृद्धि, और सैन्य जमावड़ा पाकिस्तान की वह पारंपरिक प्रतिक्रियाएं हैं जिनके माध्यम से वह तनाव बढ़ाने का प्रयास कर सकता है। यह भारत के सैन्य संसाधनों को व्यस्त रखने की एक सामरिक रणनीति हो सकती है।
3. सूचना युद्ध और जनमत निर्माण
पाकिस्तान आंतरिक एवं वैश्विक जनमत को प्रभावित करने हेतु सूचना युद्ध का सहारा ले सकता है। मीडिया एवं डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर यह नैरेटिव गढ़ा जा सकता है कि भारत की कार्रवाई अवैध एवं उकसावेपूर्ण थी। इस प्रक्रिया का उद्देश्य पाकिस्तान में राष्ट्रवादी भावनाओं को भड़काना और भारत के प्रति प्रतिरोध का माहौल तैयार करना होगा।
4. परोक्ष संघर्ष की रणनीति
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियाँ एवं आतंक समर्थक तंत्र संभवतः छद्म युद्ध की रणनीति को पुनः सक्रिय कर सकते हैं। भारत में आतंरिक अस्थिरता फैलाने हेतु आतंकी मॉड्यूल्स का पुनः सशक्तिकरण एक संभावित खतरा बन सकता है।
आतंकवादियों की उपस्थिति: प्रमाणों की वैधता
भारतीय खुफिया एजेंसियों ने यह दावा किया है कि PoK में लक्षित स्थान पर नौ प्रशिक्षित आतंकवादी छिपे हुए थे, जिनका संबंध प्रतिबंधित संगठनों जैसे जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा से था। उपलब्ध साक्ष्य—जैसे इंटरसेप्टेड संचार, उपग्रह चित्रण, और गतिशील गतिविधियों की निगरानी—इस अभियान के तार्किक और वैध होने का आधार प्रस्तुत करते हैं।
पाकिस्तान सरकार ने इन दावों को भारत की आंतरिक राजनीति से प्रेरित बताते हुए अस्वीकार कर दिया है। तथापि, अंतरराष्ट्रीय समुदाय अब इस प्रकार की प्रतिक्रियाओं को प्रायः संदिग्ध दृष्टि से देखता है, विशेषकर तब जब भारत द्वारा खुफिया प्रमाण सार्वजनिक रूप से या कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से प्रस्तुत किए जाते हैं।
वैश्विक कूटनीतिक परिप्रेक्ष्य
आतंकवाद के विरुद्ध भारत की नीति को अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और इज़राइल जैसे वैश्विक शक्तिशाली राष्ट्रों द्वारा व्यापक समर्थन प्राप्त रहा है। यदि भारत द्वारा इस कार्रवाई के समर्थन में ठोस प्रमाण दिए जाते हैं, तो पाकिस्तान पर वैश्विक दबाव में निश्चित रूप से वृद्धि होगी।
FATF (Financial Action Task Force) पहले से ही पाकिस्तान को निगरानी सूची में रखे हुए है। ऐसे में यदि पाकिस्तान को वित्तीय और राजनयिक अलगाव से बचना है, तो उसे अपने भू-राजनीतिक रवैये में निर्णायक परिवर्तन लाना अनिवार्य होगा।
बालाकोट के सापेक्ष वर्तमान कार्रवाई: एक तुलनात्मक दृष्टि
2019 की बालाकोट एयर स्ट्राइक भारत की सुरक्षा नीति में एक परिवर्तनकारी मोड़ था। यह पहली बार था जब भारत ने आतंकवादी ठिकानों पर सीमा पार कार्रवाई की सार्वजनिक रूप से पुष्टि की थी। वर्तमान कार्रवाई उस नीति का परिष्कृत संस्करण प्रतीत होती है, जो अधिक सटीक, सीमित और कूटनीतिक रूप से संतुलित है।
यह भारत के रक्षात्मक के बजाय निवारक रणनीति को अपनाने की पुष्टि करता है—एक ऐसा दृष्टिकोण जो उसे वैश्विक सुरक्षा विमर्श में अधिक जिम्मेदार और सक्रिय खिलाड़ी के रूप में स्थापित करता है।
युद्ध की संभावना: जोखिम और विवेक
भारत और पाकिस्तान, दोनों के पास परमाणु हथियार हैं। किसी भी प्रकार की रणनीतिक ग़लतफहमी या सैन्य उकसावे की स्थिति एक व्यापक और विनाशकारी संघर्ष को जन्म दे सकती है। भारत ने अपनी मंशा स्पष्ट रूप से आतंकवाद विरोधी कार्रवाई तक सीमित रखी है, लेकिन पाकिस्तान की आंतरिक अस्थिरता और सैन्य प्रतिष्ठान का प्रभुत्व एक त्वरित जवाब की संभावना को प्रबल कर सकता है।
सीमित सैन्य झड़पें, आतंकवादी हमलों में वृद्धि, या प्रचार युद्ध—इन सभी माध्यमों से पाकिस्तान स्थिति को अस्थिर करने का प्रयास कर सकता है, जिससे क्षेत्रीय स्थिरता को गहन खतरा उत्पन्न हो सकता है।
निष्कर्ष: रणनीतिक संतुलन और कूटनीतिक अवसर
भारत की नवीनतम सैन्य कार्रवाई स्पष्ट संकेत देती है कि वह अब केवल प्रतीक्षा और प्रतिक्रिया की नीति पर निर्भर नहीं है। यह एक सक्रिय, सशक्त और प्रमाण-आधारित रणनीति का परिचायक है, जिसमें आत्मरक्षा को सर्वोपरि रखा गया है।
पाकिस्तान के लिए यह समय आत्मनिरीक्षण का है—क्या वह इस संदेश को एक चेतावनी स्वरूप स्वीकार कर आतंकवाद के विरुद्ध ठोस कदम उठाएगा, अथवा पुरानी रणनीति के चलते वैश्विक मंच पर और अधिक अलग-थलग पड़ जाएगा?
विश्व समुदाय की निगाहें अब इस पर टिकी हैं कि पाकिस्तान शब्दों से आगे बढ़कर क्रियात्मक स्तर पर पारदर्शिता और उत्तरदायित्व दिखाता है या नहीं। केवल बयानबाज़ी से भारत को न संतुष्टि मिलेगी, न अंतरराष्ट्रीय विश्वास।
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